बीजिंग. पुलवामा हमले के मुख्य आरोपी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने को लेकर भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस और यूके (पी-3) ने यूएन में प्रस्ताव रखा है। लेकिन इस बैठक से पहले बुधवार को चीन ने पी-3 के प्रस्ताव के खिलाफ जाने के संकेत दिए हैं। चीन ने कहा कि इस मसले का हल वही है, जो सभी पक्षों को स्वीकार्य हो। गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएन) में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने पर फैसला होना है।
चीन ने कहा- हम हमेशा अपने रवैये के मुताबिक जिम्मेदारी निभाते रहेंगे
चीन भी यूएन में वीटो पॉवर सदस्य है। वह भारत के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाने की ताकत रखता है। भारत ने 2009 में पहली बार यूएन में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के लिए प्रस्ताव दिया था, लेकिन चीन ने उस समय भी वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा लगाया था।
अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की बात पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कंग ने कहा, 'मैं फिर दोहराता हूं कि चीन हमेशा अपने रवैये के मुताबिक जिम्मेदारी निभाता रहेगा और यूएनएससी 1267 समिति की बैठक में हिस्सा लेगा। हम सभी पक्षों के साथ इस मामले को लेकर सम्पर्क में हैं और इस मामले से परस्पर तरीके से निपटेंगे।'
अमेरिका ने चीन को दी नसीहत
अमेरिका ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्तावों का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के उपप्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने बुधवार को कहा कि मसूद अजहर ही जैश का संस्थापक है। वह वैश्विक आतंकी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के दायरे में आता है। यूएन जैश को आतंकी गुट मानता है।
रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा, 'अमेरिका और चीन के आपसी हित हैं। दोनों देश क्षेत्रीय स्थायित्व और शांति लाना चाहते हैं, लेकिन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयासों को नाकाम करने से यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा।'
भारत ने 2016 में दूसरी बार पी-3 के साथ मिलकर अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले का मास्टरमाइंड अजहर ही था।
2017 में भी पी-3 राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए प्रस्ताव दिया। अब तक जितनी बार भी प्रस्ताव दिए गए हैं, चीन ने हर बार विरोध (वीटो) किया। इसके चलते प्रस्ताव सेंक्शन कमेटी तक नहीं पहुंच सका।
हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संकेत दिए कि उनका देश यूएनएससी में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का विरोध नहीं करेगा।
14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ने ही ली थी।
चीन ने कहा- हम हमेशा अपने रवैये के मुताबिक जिम्मेदारी निभाते रहेंगे
चीन भी यूएन में वीटो पॉवर सदस्य है। वह भारत के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाने की ताकत रखता है। भारत ने 2009 में पहली बार यूएन में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के लिए प्रस्ताव दिया था, लेकिन चीन ने उस समय भी वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा लगाया था।
अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की बात पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कंग ने कहा, 'मैं फिर दोहराता हूं कि चीन हमेशा अपने रवैये के मुताबिक जिम्मेदारी निभाता रहेगा और यूएनएससी 1267 समिति की बैठक में हिस्सा लेगा। हम सभी पक्षों के साथ इस मामले को लेकर सम्पर्क में हैं और इस मामले से परस्पर तरीके से निपटेंगे।'
अमेरिका ने चीन को दी नसीहत
अमेरिका ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्तावों का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के उपप्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने बुधवार को कहा कि मसूद अजहर ही जैश का संस्थापक है। वह वैश्विक आतंकी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के दायरे में आता है। यूएन जैश को आतंकी गुट मानता है।
रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा, 'अमेरिका और चीन के आपसी हित हैं। दोनों देश क्षेत्रीय स्थायित्व और शांति लाना चाहते हैं, लेकिन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयासों को नाकाम करने से यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा।'
भारत ने 2016 में दूसरी बार पी-3 के साथ मिलकर अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले का मास्टरमाइंड अजहर ही था।
2017 में भी पी-3 राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए प्रस्ताव दिया। अब तक जितनी बार भी प्रस्ताव दिए गए हैं, चीन ने हर बार विरोध (वीटो) किया। इसके चलते प्रस्ताव सेंक्शन कमेटी तक नहीं पहुंच सका।
हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संकेत दिए कि उनका देश यूएनएससी में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का विरोध नहीं करेगा।
14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ने ही ली थी।
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